छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है । राज्य की अर्थव्यवस्था प्रमुखतः कृषि प्रधान है । प्रदेश की अधिकांश कृषि जीवन निर्वाह प्रकार की है । यहाँ की लगभग 80% जनसंख्या कृषि एवं सम्बन्धित क्रियाओं में संलग्न है । राज्य की कुल कार्यशील जनसंख्या का 55% कृषको का एवम 26% जनसँख्या कृषि मजदूर के रूप में कृषि कार्यों में संलग्न है ।
छत्तीसगढ़ की कृषि लघु पैमाने वाली श्रम प्रधान खाद्यान्न फसलों की कृषि है । 75%से अधिक क्षेत्र में खाद्यान्न फसलें पैदा की जाती है । चावल की विपुल पैदावार के कारण छत्तीसगढ़ राज्य को 'धान का कटोरा' कहा जाता है । कुल फसली क्षेत्र के लगभग 60% से अधिक भाग में धन की फसल ली जाती है ।
प्रदेश के 77% क्षेत्र में खरीफ एवम 23% क्षेत्र में रबी की फसलें ली जाती है ।
राज्य की कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर करती है ,जिससे वर्षा न होने के कारण अकाल की स्तिथि उतपन्न हो जाती है ।
सिंचाई सुविधाओं की कमी तथा रासायनिक उर्वरकों के कम प्रयोग के कारण फसलों की प्रति हेक्टेयर पैदावार यहाँ कम है ।उर्वरको की कमी कृषको की निर्धनता एवम उत्साह की कमी को दर्शाता है ।
प्रमुख फसले(main crops):-
1.धान :-
(a) यह राज्य की प्रमुख फसल है । धान का उत्पादन 84% हिस्सों में होता है ।
(b) इसका प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन लगभग 2212 कि ग्राम है ।
(C) इसकी कृषि मुख्यतः छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में की जाती है ।
(d) धान की अत्यधिक उत्पादन के कारण ही प्रदेश को 'धान का कटोरा' कहा जाता है ।
2.गेहूँ :-
(a) सही मृदा एवं सिंचाई सुविधा के अभाव के कारण गेहूँ की पैदावार काम होती है ।
(b) राज्य के कुल अनाज उत्पादन में गेहूँ के हिस्सा मात्र 1.95% हैं ।
(c) राजनंदगांव, बेमेतरा एवं बलरामपुर राज्य के प्रमुख गेहूँ उत्पादक जिले है ।
3.अरहर :-
यह दलहन की एक प्रमुख फसल है । राज्य में अरहर को तुवर के नाम से जाना जाता है । राजनांदगांव ,बलरामपुर एवम कवर्धा राज्य के प्रमुख अरहर उत्पादक जिले है ।
4.ज्वार:-
राज्य में ज्वार की कृषि अत्यंत कम लगभग 0.19% है ।इसकी प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 1355 किलोग्राम है । ज्वार के लिए हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है ।किंतु लाल मिट्टी एवम काली मिट्टी में भी इसकी खेती होती है ।
5.मक्का :-
राज्य की कुल कृषि भूमि के लगभग 1.64% भाग पर मक्का की कृषि होती है । वैसे छोटे रूप मे इसका उत्पादन सम्पूर्ण राज्य में होता है ।
6.उड़द :-
छत्तीसगढ़ के लगभग 2.18% क्षेत्र में उड़द की कृषि की जाती है ।इसे जुलाई माह में बोया जाता है ।अक्टूबर माह में इसकी फसल तैयार हो जाती है ।
7.चना :-
दलहनी फसलों में चना एक प्रमुख फसल है । दलहनी फसलों में सर्वाधिक क्षेत्रफल मैं चना का ही उत्पादन किया जाता है । यह रबी प्रमुख फसल है ।
8.सोयाबीन :-
यह राज्य की सर्वाधिक लोकप्रिय तिलहनी फसल है ।प्रोटीन एवं वासा की उच्च मात्रा होने के कारण यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण खाद्य तेल है ।
9.तिल :-
यह खरीफ की एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है । राज्य में इसे मैंदानो के साथ ही खेतो की मेढ़ों पर भी बोया जाता है ।
10.अलसी :-
यह प्रदेश की एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है ।सभी प्रकार की मिट्टी में इसकी पैदावार होती है और इसी कारण इसकी खेती की जाती है । प्रदेश की कुल कृषि भूमि पर 2% में अलसी की खेती की जाती है ।
11.कोदो एवं कुटकी :-
ये मोटे खाद्यन्न के अंतर्गत आने वाली फसले है । प्रदेश की कुल कृषि भूमि के लगभग 6% भाग पर इसकी खेती की जाती है । चावल के बाद राज्य में सबसे ज्यादा इसकी खेती की जाती है । कोदो एवं कुटकी ऐसी फसले है जिनकी पैदावार कम उर्वरता वाली भूमि में भी होती है
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