प्रेम और वासना

                             

                                              एक युवक सहज स्वाभाव था | उसका व्यक्तित्व प्रेममय था | वह नदी किनारे जाता तो पक्षी उसके कंधो पर आकर बैठ जाते थे | वे उसके आसपास घूमते हुए दाना चुगते थे |लोगों को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ | यह बात चारो तरफ फ़ैल गई | लोग दूर दूर से यह देखने आने लगे कि पक्षी किस तरह उस युवक के कंधे पर विश्राम करते हैं |यह बात उसके पिता को भी पता चली |उसने बेटे से कहा कि तुम्हारे बारे में मैंने सुना है कि पक्षी तुम्हारे कंधो पर विश्राम करते हैं | यह आश्चर्य कैसे घटित होता है | मैं यह दृश्य देखना चाहता हूँ ,लेकिन मैं नदी तक चलकर नहीं जा सकता | क्या तुम  आज पक्षी पकड़कर घर ला सकते हो ताकि मुझे इस बात पर विश्वास हो सके |


                         पिता कि आज्ञा थी  | वह युवक घर से पक्षियों को पकड़ने का संकल्प लेकर चला | नदी किनारे जाते ही एक पक्षीं उसके कंधे पर बैठा | उसने उसे पकड़ा अपनी झोली में डालने कि कोशिश कि | उस पक्षी ने पंख झटके और चीखता हुआ युवक के साथ से आज़ाद हो गया |

                            उसकी चीख शेष पक्षियों ने भी सुनी और वे उस युवक से दूर जाकर झुण्ड में बीत गए |

                            आज युवक अकेला था | उसकी आँखों में आज़ाद पक्षियों को पकड़ लेने का संकल्प और वासना थी | पक्षियों ने इसे पहचान लिया था | इसलिए दूर जाकर बैठ गये थे | लेकिन आसपास के लोग उह समझने में असमर्थ थे कि आज पक्षी उस युवक के कंधो पर विश्राम क्यों नहीं कर रहे |


प्रेम जब तक प्रेम रहेगा तब तक सामने वाला व्यक्ति भी आपसे प्रेम करेगा जिस दिन प्रेम वासना में बदला तो न प्रेम रहेगा और न ही आपको पसंद करने वाला वह व्यक्ति |

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